‘समावेशी, जागरूक एवं नैतिक सहभागिता के लिए मतदाता शिक्षा ’
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पृष्ठभूमि“मेरे पास शक्ति है”, मतदान करने के मौलिक अधिकार की, शक्ति के महत्व की यह अनुभूति और यह मतदाताओं की जिंदगियों और राष्ट्र में कितना कुछ बदलाव ला सकती है, यह मतदाता को लोकतांत्रिक निर्वाचन प्रक्रिया का केन्द्र बिन्दु बना देती है। क्या मतदान करना केवल एक अधिकार, कर्तव्य, सवैच्छिक कार्रवाई है या बड़ी संख्या में लोगों द्वारा न केवल अभ्यर्थी के बल्कि अपने स्वयं के भाग्य का निर्णय करने के लिए की जाने वाली समर्थकारी सामूहिक यात्रा है? मतदाता किसे मत देन का निर्णय लेता है, यह उनकी अपनी व्यक्तिगत इच्छा और निर्णय होता है परंतु मतदाता को अवश्य और निश्चय ही निर्वाचन प्रक्रिया में भाग लेना चाहिए। क्या हम मतदाता को ऐसा करने के लिए सशक्त, जागरूक, प्रेरित और फैसिलिटेट कर सकते हैं? क्या हम उनके तर्कों एवं धारणाओं, विश्वासों एवं प्रेरणाओं, अवरोधों एवं चुनौतियों, अनुभवों (अच्छे बुरें बेहद खराब) एवं उनकी उन आदतों, प्रसंगो एवं रूप रेखाओं को समझ सकते हैं जो मतदान करने और मतदान न करने के उनके निर्णय को आकार देता है। क्या हम मतदाता को इस बात की शक्ति की अनुभूति करने, उस शक्ति को महसूस करने, उस शक्ति में विश्वास करने के लिए प्रेरित कर सकते है और उसे यह फैसला करने के लिए उत्प्रेरित कर सकते हैं कि उनका एक वोट कितना बदलाव ला सकता है और यह भी की उनका एक वोट बदलाव लाता भी है। विविधता, भूगोल, सामाजिक-सांस्कृतिक-आस्थाकारकों, परिवार-समुदाय समीकरणों, लैंगिक पूर्वाग्रह, निशक्तता और कभी-कभी केवल उदासीनता, लापरवाही तथा आलस्यता की आदत मात्र से यह एक बड़ी भारी चुनौती है । मतदान करना केवल एक शारीरिक क्रिया भर नहीं है, यह प्रबंधन या सम्भार तंत्र का एक विषय मात्र नहीं है, यह केवल एक विषय या अधिकार या कर्तव्य नहीं है बल्कि “किसी एक व्यक्ति की शक्ति को प्रयोग में लाना है।” लोकतांत्रिक और निर्वाचनीय प्रक्रियाओं में मतदाताओं की सहभागिता किसी भी लोकतंत्र के सफल संचालन के लिए अनिवार्य है और यह स्वस्थ लोकतांत्रिक निर्वाचनों का मूल आधार है। इस प्रकार, यह निर्वाचन प्रबंधन का एक अनिवार्य भाग बन जाता है। सिविल एवं राजनैतिक अधिकारों (1966) पर अंतरॉष्ट्रीय प्रसंविदा के अनुच्छेद 25 में “समावेशन” को प्राथमिकता दी गयी है। जिसमें यह अनुबंधित किया गया है कि प्रत्येक नागरिक को जाति, रंग, लिंग, भाषा, धर्म, राजनीतिक या अन्य अभिमत, राष्ट्रीय या सामाजिक मूल, सम्पत्ति, जन्म या अन्य अवस्थिति पर आधारित भेदभाव के बिना और बिना अनुचित प्रतिबंधों के मतदान करने तथा निर्वाचित होने का अधिकार एवं अवसर प्रदान किया जाना चाहिए। निर्वाचनों में धन और बाहुबल का दुरूपयोग समान अवसर उपलब्ध कराने की भावना को तहस-नहस कर देते हैं। यह लोकतंत्र की भावना को बिगाड देता है। किसी प्रलोभन पर विचार किए बिना पूर्व सूचित विकल्प चुनने की दृष्टियों से “गुणवत्तापूर्ण निर्वाचकीय सहभागिता” जीवंत लोकतन्त्र की आधारशिला है। इस प्रकार, निर्वाचन प्रबंधन निकायों द्वारा समावेशी मतदाता शिक्षा को गंभीरता और गहराई के साथ उतना ही उचित एवं प्रबल महत्व दिया जाना चाहिए जितनी इसे दरकरार है। लोकतंत्र में सहभागिता सुधारने के लिए किसी भी अन्य विकल्प की अपेक्षा मतदाता शिक्षा न केवल एक सही, बल्कि सबसे उपयुक्त तरीका है। इसे ध्यान में रखते हुए अनेक देशों ने, वस्तुत: मतदाता शिक्षा को अपने सवैधानिक अधिदेश का हिस्सा बनाया है। मतदाता शिक्षा एक सतत प्रक्रिया है और निर्वाचन चक्र के सभी चरणों में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। मतदाता शिक्षा प्रक्रिया के हितधारी उपर्युक्त पृष्ठभूमि में, भारत निर्वाचन आयोग समावेशी, जागरूक और नैतिक सहभागिता के लिए मतदाता शिक्षा पर 19 से 21 अक्तूबर 2016 तक एक अंतरॉष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करने का प्रस्ताव करता है। उद्देश्य
सम्मेलन की संरचनाएक सफल सम्मेलन होने देने के लिए सहभागी मतदाता शिक्षा के क्षेत्र के अनुभव और सफल प्रक्रियाएं प्रस्तुत करते हैं जिससे कार्य के उनके क्षेत्रों में समावेशी और जागरूक निर्वाचकीय सहभागिता संभव होती है। मतदाताओं के विशेष समूह जैसे रक्षा सेनाओं, प्रवासी नागरिकों आदि तक पंहुचने के लिए भी विशेष पहल पेश की जा सकती है। निर्वाचकीय प्रक्रियाओं में शामिल अन्य कर्ता जैसे सीएसओ, मीडिया प्रतिनिधि, सहभागी विभाग, जिन्होंने महिलाओं, अपेक्षित समूहों (जैसे अशक्त लोग, स्थानीय लोगो आदि) की सहभागिता की दिशा में कार्य किया है, वे भी अपना दृष्टिकोण बताने में सक्षम होंगे। सम्मेलन का उद्देश्य- अच्छी प्रक्रियाओं को दर्शाने और प्रकाश में लाने के साथ-साथ उन्हें अन्य संदर्भों में दोहराए जाने की संभावनाएं तलाशना और निर्वाचकीय साक्षरता को मुख्य धारा में लाने के लिए निर्वाचन प्रबंधन निकायों को तुलनात्मक सूचना, आंकड़े, अनुभवों और उदाहरणों से अवगत कराना हैं। इसके अतिरिक्त, सम्मेलन का उद्देश्य यह भी होगा कि सभी सहभागियों के अनुभवों से यह निष्कर्ष निकालना कि जागरूक एवं नैतिक निर्वाचकीय सहभागिता को किस प्रकार और अधिक सशक्त किया जाए, चाहे विधिक संरचनाओं के माध्यम से या विभिन्न नीतियों से। विषय:
चुनींदा थीम के विषयों पर पेपर आमंत्रित किए जाते हैं ताकि सहभागियों को अपनी सर्वोत्तम पद्धति साझा करने के लिए विभिन्न (थीमेटीक) समूहों में एकीकृत किया जा सके। पेपरों को कांफ्रेस रीडर के प्ररूप में प्रलेखित किया जाएगा और सम्मेलन से पहले साझा किया जाएगा। मतदाता शिक्षा के लिए विदेशों में प्रयोग की जा रही सामग्री का प्रदर्शन करने के लिए सम्मेलन स्थान में एक प्रदर्शन भाग की भी व्यवस्था की जाएगी। सहभागियों से अपेक्षा की जाती है कि वे प्रदर्शनी के लिए प्रदर्शों एवं श्रव्य-दृश्य सामग्रियों के अतिरिक्त वे साहित्य सामग्री और टूल किट्स भी साथ लेकर आएं। जिन्हें वे प्रदर्शित और साझा करना चाहते हैं। |